हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के सरकारी शिक्षकों की सेवा अवधि बढ़ाने का फैसला लिया है। अब शिक्षकों को एक साल और काम करने का मौका मिलेगा। यह कदम शिक्षकों के करियर में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ-साथ राज्य की शिक्षा व्यवस्था को भी मजबूत करेगा।
शिक्षक कमी से निपटने की नई पहल
सरकार ने साफ किया है कि यह निर्णय शैक्षणिक संस्थानों में बढ़ती शिक्षक कमी से निपटने के लिए लिया गया है। पिछले वर्षों में स्टाफ की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। नई व्यवस्था लागू होने के बाद सत्र के बीच में शिक्षक रिटायर नहीं होंगे और विद्यार्थियों की पढ़ाई बिना रुकावट के जारी रहेगी।
पुनर्नियोजन का अवसर मिलेगा
नई नीति के तहत 27 अगस्त 2025 या उसके बाद रिटायर होने वाले शिक्षकों को पुनर्नियोजन (Re-employment) का मौका दिया जाएगा। यह सुविधा उन अनुभवी शिक्षकों के लिए लाभकारी होगी जो शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं और अनुभव छात्रों के साथ साझा करना चाहते हैं।
सेवा विस्तार अवधि में वेतन और लाभ
सेवा विस्तार की अवधि में शिक्षकों को उनके अंतिम वेतन और पेंशन के अंतर के आधार पर वेतन मिलेगा। इसके साथ ही ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण, पेंशन कम्यूटेशन और भविष्य निधि जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध रहेंगी। इनका भुगतान सेवा विस्तार समाप्त होने के बाद किया जाएगा।
पेंशन और वेतन दोनों का लाभ
इस नीति की सबसे अहम बात यह है कि पुनर्नियोजन के दौरान शिक्षकों को पेंशन भी मिलती रहेगी। यानी उन्हें वेतन और पेंशन दोनों का लाभ मिलेगा। यह दोहरा फायदा शिक्षकों की आर्थिक स्थिति को और सुदृढ़ करेगा।
आवेदन प्रक्रिया तय
जो शिक्षक सेवा विस्तार चाहते हैं उन्हें अधिसूचना जारी होने के सात दिनों के भीतर विभाग में आवेदन करना होगा। समयबद्ध प्रक्रिया अपनाने से योजना का क्रियान्वयन सुचारू रूप से किया जाएगा।
संस्थानवार समय सीमा निर्धारित
सरकार ने अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों के लिए सेवा विस्तार की अवधि भी तय कर दी है। स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा और चिकित्सा शिक्षा में यह 31 मार्च 2026 तक लागू होगी। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) के लिए 31 जुलाई 2026 तक, आयुष शिक्षा विभाग में 30 अप्रैल 2026 तक और पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग व फार्मेसी कॉलेजों के लिए यह अवधि 30 जून 2026 तक रहेगी।
शिक्षा व्यवस्था पर सकारात्मक असर
नीति से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। अनुभवी शिक्षकों के मार्गदर्शन से छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी और नए शिक्षकों को सीखने का अवसर प्राप्त होगा। इससे शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता आएगी।
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति लंबी अवधि में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने में मदद करेगी। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो अन्य राज्य भी हिमाचल प्रदेश के इस कदम को अपनाने पर विचार कर सकते हैं।