उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य की बेटियों के भविष्य को सुरक्षित और उज्जवल बनाने के लिए भाग्यलक्ष्मी योजना की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों की बच्चियों को शिक्षा और विवाह तक आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। बेटी के जन्म से लेकर 21 वर्ष की आयु तक सरकार चरणबद्ध रूप से आर्थिक सहायता देती है, ताकि माता-पिता अपनी बच्ची को बोझ नहीं बल्कि परिवार की ताकत समझें।
क्या है भाग्यलक्ष्मी योजना?
भाग्यलक्ष्मी योजना उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा पहल है जिसके अंतर्गत बेटी के जन्म पर तुरंत आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके बाद जैसे-जैसे बच्ची की पढ़ाई आगे बढ़ती है, सरकार 6वीं, 8वीं, 10वीं और 12वीं कक्षा में पहुंचने पर अलग-अलग किश्तों के रूप में राशि प्रदान करती है। बेटी के 21 वर्ष की उम्र पूरी होने पर उसे करीब ₹2 लाख रुपये की अंतिम सहायता मिलती है, जिसका उपयोग वह उच्च शिक्षा, नौकरी की तैयारी या विवाह में कर सकती है।
योजना की खासियतें और लाभ
भाग्यलक्ष्मी योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बेटी की शिक्षा को केंद्र में रखा गया है। सरकार चाहती है कि कोई भी बच्ची आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई बीच में न छोड़े। जन्म के समय शुरुआती सहायता मिलने के बाद पढ़ाई के हर पड़ाव पर वित्तीय मदद मिलती है। 21 साल की उम्र में दी जाने वाली अंतिम राशि से बेटी आत्मनिर्भर बनकर अपने जीवन की नई शुरुआत कर सकती है।
भाग्यलक्ष्मी योजना की पात्रता शर्तें
इस योजना का लाभ केवल उत्तर प्रदेश के स्थायी निवासियों को ही दिया जाता है। बेटी का जन्म 31 मार्च 2006 के बाद होना आवश्यक है और परिवार की वार्षिक आय ₹2 लाख से कम होनी चाहिए। केवल गरीबी रेखा या उससे नीचे (BPL) वर्ग के परिवार पात्र हैं।
अगर माता-पिता में से कोई भी सरकारी नौकरी करता है, तो उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही बेटी का पंजीकरण जन्म के एक महीने के भीतर आंगनबाड़ी केंद्र में कराना आवश्यक है। यह भी जरूरी है कि बेटी सरकारी विद्यालय में पढ़ाई करे और 18 वर्ष की उम्र से पहले उसकी शादी न हो, अन्यथा योजना का लाभ रद्द कर दिया जाएगा।
आवेदन प्रक्रिया: ऐसे करें भाग्यलक्ष्मी योजना के लिए आवेदन
भाग्यलक्ष्मी योजना में आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑफलाइन है। आवेदन के लिए अभिभावक को नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र या महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यालय में जाना होता है। वहां से आवेदन फॉर्म प्राप्त कर बेटी और माता-पिता की जानकारी भरनी होती है। आवश्यक दस्तावेजों को संलग्न करने के बाद फॉर्म जमा किया जाता है। विभाग द्वारा जांच और सत्यापन के बाद आवेदन स्वीकृत होने पर योजना का लाभ परिवार को मिलना शुरू हो जाता है। साथ ही एक पावती रसीद दी जाती है जो आवेदन के दर्ज होने का प्रमाण होती है।
योजना का लाभ कैसे और कब मिलेगा?
भाग्यलक्ष्मी योजना के तहत लाभ चरणबद्ध रूप से दिया जाता है। जन्म के समय शुरुआती सहायता मिलती है, फिर बच्ची की पढ़ाई के दौरान 6वीं, 8वीं, 10वीं और 12वीं कक्षा में पहुंचने पर किस्तों के रूप में धनराशि दी जाती है। जब बेटी 21 वर्ष की होती है, तो उसे लगभग ₹2 लाख रुपये की अंतिम राशि प्रदान की जाती है, जिससे वह अपने भविष्य की जरूरतों को पूरा कर सके।
बेटियों के सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम
भाग्यलक्ष्मी योजना न केवल एक वित्तीय सहायता कार्यक्रम है बल्कि यह बेटियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का एक मिशन है। यह योजना उन गरीब परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है जो बेटियों की पढ़ाई और शादी को लेकर चिंतित रहते हैं। इस पहल से समाज में बेटियों को सम्मान का दर्जा मिलने के साथ-साथ “बेटी बोझ नहीं, सम्मान है” का संदेश भी मजबूती से फैल रहा है।
